- शरद मिश्रा
बांदा। दक्षिण दिशा में चमकदार नजर आने वाला अगस्त्य तारा 22 मई को अस्त हो जाएगा। फिर यह सितंबर में उदय होगा। भारतीय ज्योतिष ग्रंथों में इस तारे का विशेष महत्व है। वर्षा ऋतु से भी इस तारे का अहम संबंध है। पंडित श्रवण कुमार शास्त्री के अनुसार अगस्त्य तारा मई तक उदय रहता है।
इसके अस्त होने तक दक्षिण भारत के समुद्र से वाष्पीकरण की प्रक्रिया रहती है। प्राचीन भारत के महान खगोलशास्त्री आचार्य वराहमिहिर के अनुसार सूर्य और अगस्त्य तारा की वजह से बादल बरसात के लिए तैयार होते हैं। उन्होंने बताया कि इसके अस्त होने एवं सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने पर नौतपा शुरू हो जाता है। वहीं, उदय होने पर चौमासे में बरसात थम जाती है।
उनके अनुसार अगस्त्य तारा का नाम महर्षि अगस्त्य के नाम पर रखा गया है। प्राचीन मान्यता है कि उन्होंने ही इस तारे की खोज की थी। उन्होंने बताया कि अगस्त्य तारे के अस्त होने के बाद मौसम के रुख में परिवर्तन की संभावना रहती है। इधर, ज्योतिषविद श्रवण कुमार के अनुसार भविष्य पुराण में अगस्त्य तारे को अर्घ्य देने की महत्ता का भी वर्णन है।