- विनोद मिश्रा
बांदा। जनता की गाढ़ी कमाई से बनने वाली सड़कें अब गुणवत्ता की नहीं, बंदरबांट की मिसाल बनती जा रही हैं। नरैनी क्षेत्र में लोक निर्माण विभाग की देखरेख में बनाई जा रही सड़क में मानकों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। शिवपुर से ऐतिहासिक रनगढ़ जल दुर्ग को जोड़ने वाले सड़क मार्ग पर ठेकेदार ने बिना मानक बेस बनाए सीमेंट-कंक्रीट सीसी सड़क डालना शुरू कर दिया है, जिससे उसकी गुणवत्ता पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। विभागीय मानक के अनुसार, सीसी सड़क डालने से पहले कम-से-कम 5 सेंटीमीटर मोटा मजबूत बेस (फाउंडेशन लेयर) तैयार करना होता है। लेकिन ठेकेदार ने बेस की अनदेखी कर सीधे सीमेंट-कंक्रीट का काम शुरू करवा दिया।
अभी तक तीन मीटर चौड़ी और 2400 मीटर लंबी सड़क में से 600 मीटर की दूरी पर कार्य पूरा कर लिया गया है वह भी बिना बेस के। स्थानीय लोगों का आरोप है कि निर्माण में खुल्लमखुल्ला मानकों की अनदेखी की जा रही है, जिससे पूरे प्रोजेक्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठ गए हैं। लोगों ने यह भी कहा है कि “यह सिर्फ ठेकेदार की मनमानी नहीं, बल्कि इसमें लोक निर्माण विभाग के अफसरों की मिलीभगत साफ दिखाई दे रही है।” नवनिर्मित सीसी सड़क में पानी का छिड़काव (तराई) भी समय पर नहीं कराया गया, जिसके चलते दरारें पड़नी शुरू हो गई हैं। यह निर्माण की गुणवत्ता को लेकर बड़ा चेतावनी संकेत है।
इस पूरे मामले में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता आर.के. सिंह ने बयान दिया है “मौके पर जाकर निरीक्षण किया जाएगा। यदि बिना बेस के सीसी रोड डाली गई है तो यह पूरी तरह ग़लत निर्माण है। दोषी पाए जाने पर ठेकेदार के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।” लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब 600 मीटर तक काम बिना मानक के हो गया, तब विभाग सो रहा था ? क्या कार्रवाई सिर्फ खानापूर्ति होगी, या होगी सख़्त जवाबदेही ? इस तरह की बंदरबांट और विभागीय मिलीभगत बांदा जैसे पिछड़े जिले की मूलभूत विकास योजनाओं को पंगु बना रही हैं।